पतन से बचाती है भागवत कथा : डाॅ. अनुरंजिका
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भागवत-कथा ज्ञान महायज्ञ सम्पन्न
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अजीत पार्थ न्यूज मऊ:
जनपद के मधुबन क्षेत्रांतर्गत नेमडाँड़ गाँव में एक सप्ताह से चल रहे भागवत-कथा ज्ञान महायज्ञ का समापन मंगलवार को हुआ। 8 फरवरी से प्रारंभ हुए कथा-ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ पर आसीन कथावाचिका डॉ. अनुरंजिका चतुर्वेदी ने भागवत महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए मानव जीवन में उसकी उपयोगिता को विधिवत समझाया। भागवत का मर्म बताते हुए उन्होंने कहा कि जीवन को सुगम व सफल बनाने के लिए भागवत की कथाओं में मरोरम दृष्टांत उपलब्ध हैं। श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को पतनगामी होने से बचाती है। उन्होंने आध्यात्मिक दृष्टि से सृष्टि की उत्पत्ति, विस्तार व राजवंशों की जानकारी देते हुए श्रीकृष्ण के सम्पूर्ण जीवन की लीलाओं का निहितार्थ बताया। श्रीमद्भागवत महापुराण के बारहों स्कन्धों की प्रमुख कथाओं को डाॅ. अनुरंजिका चतुर्वेदी ने अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। दसवें स्कन्ध की कथा ने श्रोताओं को भाव-विह्वल कर दिया। अनेक जनपदों सहित क्षेत्र के हजारों कथाप्रेमियों ने कथारस का पान किया।
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व नेमडाँड़ गाँव की मूल निवासी डाॅ. अनुरंजिका चतुर्वेदी ने अपनी विशिष्ट कथाशैली से भागवत-प्रेमियों को आह्लादित व मंत्रमुग्ध किया। देश-विदेश के बड़े मंचों से कथा कह चुकीं डाॅ. अनुरंजिका चतुर्वेदी ने बीएचयू से श्रीमद्भागवत में शोध किया है। इनके पिता डॉ. उमाशंकर चतुर्वेदी दर्जनों पुस्तक लिख चुके ख्यातिप्राप्त साहित्यकार हैं और वाराणसी के एक गवर्नमेंट कॉलेज से अवकाश प्राप्त करके वहीं के निवासी हो चुके हैं। उन्होंने अपनी जन्मभूमि नेमडाँड़ गाँव में एक ब्रह्मस्थान का जीर्णोद्धार करवाया और इसी उपलक्ष्य में यह भागवत कथा का आयोजन किया।